जे बी कृपलानी का जीवन परिचय हिंदि मे । J. B. Kripalani Biography in Hindi

इस लेख में, हम आपको भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी, समाजवादी और राजनेता जे॰ बी॰ कृपलानी की उम्र, विकी और जीवनी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, आप लेख के अंत तक जे॰ बी॰ कृपलानी के परिवार की तस्वीरें देख सकते हैं। तो, आइए हम उनके व्यक्तिगत,  व्यावसायिक और राजनीतिक जीवन पर एक नज़र डालें।

जन्म और परिवार (Birth and Family)

जे॰ बी॰ कृपलानी का जन्म 11 नवम्बर 1888 को हैदराबाद के सिंध में हिंदु उच्च मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। जे॰ बी॰ कृपलानी का पुरा नाम जीवटराम भगवानदास कृपलानी था।

इनके पिताजी का नाम काका भगवानदास था। उनके पिता एक सरकरी विभाग में राजस्व और न्यायिक अधिकारी थे। जे॰ बी॰ कृपलानी कुल आठ भाई-बहन थे वो अपनी माता-पिता की छटा संतान थे।

जे॰ बी॰ कृपलानी का शिक्षा | J. B. Kripalani Education

इनकी शुरूआती शिक्षा सिंध के स्कूल में ही हुई। स्कूल कि शिक्षा पुरी करने के बाद कृपलानी बॉम्बे के विल्सन कॉलेज में आगे के पढाई की।

पढाई करते-करते उन्हें इंग्लिश कविताओ में काफी रुची आने लगी थी, वे अक्सर इंग्लिश कविताओ पढ्ते रहते। लेकिन उनकी एक खास बात यह भी थी की उन्हें इंग्लिश कविताये बहुत अच्छी लगती थी लेकिन उससे भी ज्यादा उन्हें अंग्रेज से नफ़रत थी।

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जब वे कॉलेज के पढाई कर रहे थे तो उस वक्त बंगाल का विभाजन हुआ लेकिन वे शांत नही रहे और अंग्रेजो के प्रति उनका क्रोध और भी बढ़ता गया। उनके इस स्वभाव के कारण उनके कॉलेज ने उन्हें कराची के डी जे सिंध कॉलेज में जबरदस्ती भेज दिया था ताकी वे वहा पर शांत रहकर पढाई कर सके।

उसके बाद में वे पूना के फर्ग्युसन कॉलेज से सन 1908 में ग्रेजुएट हुए। उसके बाद उन्होने इतिहास और अर्थशास्त्र में M.A  की डिग्री हासिल की।

आचार्य कृपलानी का विवाह – Acharya Kripalani Marriage

उनका विवाह सन 1936 में सुचेता कृपलानी से हुई। वे बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के महिला विद्यापीठ में शिक्षक थी। उनकी पत्नी भी कांग्रेस पार्टी के साथ जुरी रही। राजनितिक करियर में उन्होंने कई मंत्रिमडल में बड़े बड़े पद पर काम किया। उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनने वाली वे पहली महिला थी।

जे॰ बी॰ कृपलानी का करियर | J. B. Kripalani Career

उन्होने 1912 से 1917 तक बिहार के मुजफ्फरपुर कॉलेज में इंग्लिश और इतिहास के प्रोफ़ेसर पद पर काम किया। 1917 में चंपारण सत्याग्रह के दौरान वह गांधीजी से मिले वे गांधीजी से प्रभावित हुए वही से उनके जीवन का दूसरा दौर शुर हुआ। गांधीजी के कहने पर उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ में काम करना शुरू कर दिया।

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उन्होंने सन 1920 से 1927 तक महात्मा गांधी द्वारा स्थापित किये गए गुजरात विद्यापीठ में प्रिंसिपल के रूप में काम किया। तभी से वे आचार्य कृपलानी (Acharya Kripalani) के नाम से प्रसिद्ध हुए। इससे पहले 1919 में कुछ समय के लिए उन्होंने बनारस हिन्दू कॉलेज में भी शिक्षक पद पर काम किया।

जे॰ बी॰ कृपलानी महात्मा गांधी जीन बातो पर जोर देते थे और जो सामाजिक सुधारना लाना चाहते थे उनपर ही कृपलानी काम करते थे। वे उत्तर भारत में गए और वहा पर उन्होंने नए आश्रमों की स्थापना की जिससे महात्मा गांधी द्वारा बताई गयी बातो का विस्तार किया जा सके।

उन्हें कई बार जेल में भी जाना पड़ा :- नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, आन्दोलन में हिस्सा लेने और लोगो को अंग्रेज सरकार के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रेरित करते की वजह से उन्हें कई बार जेल में भी जाना पड़ा था।

J. B. Kripalani Biography

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कम समय में काफी उचे पद पर पहुच गए क्युकी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में वे बहुत ही सक्रिय थे। कई प्रश्नों पर नेहरु जी से मतभेद हो जाने के कारण नवम्बर 1947 में उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पड़ से इस्तीफा दे दिया क्योंकी वे चाहते थे की कांग्रेस का नियंत्रण संसदीय संस्था पर हो लेकिन कांग्रेस पार्टी के अन्य सदस्य उनकी सोच के खिलाफ थे। विशेष रूप से नेहरु और पटेल का उनकी विचारधारा के विपरित थे। इसीलिए कृपलानी के बाद में डॉ राजेंद्र प्रसाद को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था।

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उन्होंने किसान मजदूर प्रजा पार्टी की स्थापना की। कुछ समय बाद इनकी पार्टी भारत की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गयी और एक नयी पार्टी बनी जिसका नाम प्रजा समाजवादी पार्टी रखा गया। वे कइ बार लोक सभा के सदस्य भी रहे।

जे॰ बी॰ कृपलानी की मृत्यु – J. B. Kripalani Death

19 मार्च 1982 में आचार्य कृपलानी का निधन हो गया। उस वक्त वे 94 साल के थे।

आचार्य कृपलानी की लिखी क़िताबे – J. B. Kripalani Books

आचार्य कृपलानी ने ‘माय टाइम्स’ नाम का किताब लिखा जिसमे उन्होने अपनी आत्मचरित्र लिखा था जो उनकी मृत्यु के 22 साल बाद रूपा प्रकाशक ने 2004 में प्रकाशित किया था।

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