इस लेख में, हम आपको भारतीय स्वतंत्रता सेनानी , राजनेता और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की उम्र, विकी और जीवनी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, आप लेख के अंत तक जयप्रकाश नारायण के परिवार की तस्वीरें देख सकते हैं। तो, आइए हम उनके व्यक्तिगत , व्यावसायिक और राजनीतिक जीवन पर एक नज़र डालें।
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण (छपरा) जिले के सिताबदियारा गाँव में हुआ। इनके पिताजी का नाम हरसू दयाल और माताजी का नाम श्रीमती फूल रानी देवी था। उनकी माता एक धार्मिक विचारों की महिला थी।
जयप्रकाश नारायण के दो भाई और तीन बहनें थी वो अपनी माता-पिता की चौथी संतान थे। इनकी शुरूआती शिक्षा छपरा गाँव में ही हुई। जब जयप्रकाश 9 साल के थे तब वो अपना गाँव छोड़कर कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लेने के लिए पटना चले गए। स्कूल में उन्हें सरस्वती, प्रभा और प्रताप जैसी पत्रिकाओं को पढने का मौका मिला। उन्होंने भारत-भारती, मैथिलीशरण गुप्त और भारतेंदु हरिश्चंद्र के कविताओं को भी पढ़ा। इसके अलावा उन्हें ‘भगवत गीता’ पढने का भी अवसर मिला।
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1920 में जब जयप्रकाश 18 वर्ष के थे तब उनका विवाह प्रभावती देवी से हुआ। प्रभावती देवी बिहार के प्रसिद्ध गांधीवादी बृज किशोर प्रसाद की पुत्री थी। जयप्रकाश अपनी पढाई में इतने व्यस्त थे कि वो अपनी पत्नी को भी अपने साथ नही रख सकते थे। इसलिए उनकी पत्नी प्रभावती देवी विवाह के बाद कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम मे रह रही थी।
बिहार विद्यापीठ में पढाई के बाद 1922 में नारायण उच्च शिक्षा के लिए यूएस (अमेरिका) चले गये जहाँ उन्होंने ओहोयो विश्वविद्यालय में प्रवेश किया तथा यही से स्नातक और स्नातकोत्तर की डीग्री हासिल की। जयप्रकाश ने डॉक्टरेट की पढ़ाई शुरू की मगर माँ की खराब तबीयत के चलते उन्हें अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत वापस आना पड़ा।
अमेरिका से भारत आने के बाद ये बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर के पद पर रहे। लेकीन कुछ वर्षों के बाद इन्होने नौकरी का त्याग कर खुद को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया और कांग्रेस ज्वाइन कर ली। 1934 में इन्होने पार्टी की नीतियों का विरोध करते हुए आचार्य नरेंद्र देव और अन्य साथियो के सहयोग से कांग्रेस के अंदर ही कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की, जिसके वे संगठन मंत्री भी रहे उन्होने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच मतभेदों को सुलझाने का प्रयास भी किया। सन 1942 में ‘भारत छोडो’ आंदोलन के दौरान वे हजारीबाग जेल से फरार हो गए थे।
भारत सरकार ने उन्हें सन 1998 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा। सन 1965 में उन्हें समाज सेवा के लिए ‘मैगसेसे’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
नाम | जयप्रकाश नारायण |
उपनाम | जे. पी. |
जन्म | 11 अक्टूबर 1902 |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1979 |
जन्म स्थल | सिताबदियारा गाँव , सारण (छपरा) जिला, बिहार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
राशि | |
पिताजी | हरसू दयाल |
माताजी | श्रीमती फूल रानी देवी |
भाई | N/A |
विवाह | विवाहित ( 1920 ) |
पत्नी | प्रभावती देवी |
पुत्र | N/A |
पुत्री | N/A |
निवास स्थान | सिताबदियारा गाँव , सारण (छपरा) जिले, बिहार |
स्कूल | कॉलेजिएट स्कूल, पटना, भारत |
कॉलेज | कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली विसकांसन विश्वविद्यालय |
शिक्षा योग्यता | समाजशास्त्र में परास्नातक ( Masters in Sociology) |
पेशा | भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता |
सम्पत्ति |
“Give me one year to build a new country” – Jayaprakash Narayan, 1974
वर्ष 2001 में, भारत सरकार द्वारा जयप्रकाश नारायण जी की याद में एक डाक टिकट जारी की।
जयप्रकाश नारायण का आखिरी सफ़र:-
आन्दोलन के दौरान ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हो गया था। आपातकाल में जेल में बंद रहने के दौरान उनकी तबियत अचानक 24 अक्टूबर 1976 को ख़राब हो गयी और 12 नवम्बर 1976 को उन्हें रिहा कर दिया गया। मुंबई के जसलोक अस्पताल में जांच के बाद पता चला की उनकी किडनी ख़राब हो गयी थी जिसके बाद वो डायलिसिस पर ही रहे।
जय प्रकाश नारायण एक लेखक भी थे। उनके निबंध ‘बिहार में हिंदी की वर्त्तमान स्थिति’ ने सर्वश्रेष्ठ निबंध का पुरस्कार जीता।
जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में मधुमेह और ह्रदय रोग के कारण हो गया।