कब और कैसे हुई RSS की स्थापना, कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन?
भाजपा विरोधी जब-तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर उल्टी सीधी बातें करते रहते हैं जबकि ऐसे संघ आलोचकों में से कोई भी संघ को अच्छी तरह से नहीं जानता संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। सेना के बाद केवल आरएसएस अर्थात संघ ही भारतीयों की रक्षा करने में सक्षम है। 93 वर्ष पुरानी इस संस्था के इस समय लगभग एक करोड़ प्रशिक्षित स्वयंसेवक है जो एक आवाज में सेवा के लिए कहीं भी एकजुट हो सकते हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का इतिहास (Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) History in Hindi)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को संक्षेप में आर एस एस के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना आज से 93 वर्ष पूर्व विजयदशमी (दशहरा) के दिन 27 दिसंबर 1925 को मध्य भारत के नागपुर शहर में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ मुख्यालय स्थित है।
इसका उद्देश्य हिंदू राष्ट्रवादी नेता और मातृभूमि की निस्वार्थ सेवा है एवं देश की रक्षा करता है।
यह भारत का सबसे बड़ा दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी अर्धसैनिक संगठन है या देश की सबसे बड़ी हिंदुत्ववादी और राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी भाजपा का पैतृक संगठन है इसके हमकदम भाजपा के अलावा हिंदू विश्व परिषद एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद है लंदन ब्रिटेन समाचार प्रसारक संस्था बीसीसी के अनुसार संघ विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संगठन है इसकी शाखाएं देशभर में ही नहीं विश्व के अनेक देशों में अर्थात विश्व भर मे मौजूद एवं कार्यरत है इसका उद्देश्य इंडिया को भारत बनाना, भारत को विश्वगुरु बनाना है
संघ की शाखाओं के माध्यम से इस की गतिविधियां संचालित होती है जिसमें अभ्यास के माध्यम से सदस्यों का शारीरिक व मानसिक विकास किया जाता है एवं प्रशिक्षण दिया जाता है देश में इस समय 60000 से अधिक शाखाएं लगती हो संचालित होती है इसके 50000 से 60000 सक्रिय सदस्य हैं एक करोड़ से अधिक प्रशिक्षित स्वयंसेवक सदस्य है।
देश के सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के टी थॉमसन के अनुसार संविधान और सेना के बाद केवल आरएसएस भारतीयों की सुरक्षा करने में सक्षम हैं। जो अर्थ सैनिकों की तरह प्रशिक्षित और अनुशासित है। आपातकाल के समय जब संघ पर प्रतिबंध लगाकर इसे दबाने एवं धर पकड़ कर सदस्यों को जेल में बंद करने का प्रयास किया गया, तब इसकी ताकत देशव्यापी अप्रत्याशित रूप से बढी़।
संघ के विरुद्ध जब कभी भी ऐसा प्रयास किया किसी राज्य या केंद्र सरकार द्वारा किया गया तब-तब इसकी ताकत बढ़ती गई इसका जमीनी नेटवर्क बहुत तगड़ा और प्रभावी है जो गुप्त रूप से भीतर ही भीतर संचालित होता रहता है इसका सामान्य सदस्य पैदल पैदल या साइकिल से कुछ ही घंटों के भीतर किसी भी सूचना खबरों को पूरे कस्बे या शहर में अपने से जुड़े लोगों तक पहुंचा देता है।
संघ में सबसे ऊपर सर संघ संचालक होते हैं जो दिशानिर्देश देते हैं। संघ के स्वयंसेवकों का 1 घंटे सुबह-शाम मिलन होता है। इसमें वे खेल, योग, वंदना अभ्यास करते हैं और राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करते हैं। इसमें सदस्यों को सभी विषयों से अवगत कराते हैं शाखा का आयोजन खुले मैदान में किया जाता है इसमें 1 घंटे खेल, व्यायाम, सूर्य नमस्कार, समता परेड, गीत, प्रार्थना किए जाते हैं।
शाखाओं को प्रभात, शाखा सांध्य शाखा, रात्रि शाखा मिलन के नाम से जाना जाता है। 80 से ज्यादा देशों में संघ की गतिविधियां संचालित होती है देश में संघ से जुड़े 200 से अधिक संगठन का क्षेत्रीय प्रभाव है जो देश सेवा एवं सुरक्षा में लगे हैं।
देश में संघ की लगभग 56569 शाखाएं इस समय कार्यरत हैं। देश में 8226 संघ मंडली हैं। 13784 सप्ताहिक मिलन समारोह होते हैं इसके एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित कार्य करता है 8000 नए सदस्य प्रतिमाह संघ से जुड़ते हैं। दीपावली पव, शीत शिविर, निवासी शिविर लगता है। संघ शिक्षा वर्ग, प्राथमिक शिक्षा वर्ग व समाज सेवा आदि का आयोजन किया जाता है 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय राहत एवं पुनर्वास में संघ की सहभागिता को देखकर स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रभावित हुए और सार्वजनिक रूप से तारीफे की थी। 30 बडे देशों में संघ का प्रभावी नेटवर्क है।
संघ से जुड़े अन्य संगठन भाजपा, भाकिस, भामस, सेवा भारती, राष्ट्र सेविका समिति, अभाविप, विद्या भारती, शिक्षा भारती, विहिप, हिन्दू स्वयंसेवक संघ, स्वदेशी जागरण मंच, सरस्वती शिशु मंदिर, ग्राम्य भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय संघ, बजरंग दल, मातृ वाहिनी, लघु उद्योग भारती, भारती विचार केंद्र, विश्व संवाद केंद्र, राष्ट्रीय सिख संगत, विवेकानन्द केंद्र आदि कार्यरत हैं जिनकी गतिविधियाँ सदैव चलती रहती हैं।
इसके अलावा अन्य संगठन भी हैं जो चुनाव के समय सक्रिय हो जाते हैं, धर्म का प्रचार करते हैं और जनता में राष्ट्रीय या धार्मिक भाव जगाते हैं। इस लेख का उद्देश्य संघ का प्रचार करना नहीं अपितु उसकी हकीकत से अवगत करवाना है। राष्ट्रीय स्वयं संघ की कार्य पद्धति ऐसी है कि नियमित संघ शाखा आने वाले स्वयंसेवकों में से कुछ प्रतिशत स्वयंसेवक अपने जीवन के कुछ वर्ष या संपूर्ण जीवन संघ को देने का संकल्प कर संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन जाते हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, दत्तोपंत हेगड़े, विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, स्व. अशोक सिंघल आदि संघ के प्रचारक रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन के कई बहुमूल्य वर्ष या संपूर्ण जीवन संघ कार्य हेतु समर्पित कर दिया। ऐसे तपोनिष्ठ कार्यकर्ताओ के बल पर ही रा.स्व.संघ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है।
कभी 25 स्वयंसेवकों से शुरू हुआ संघ आज विशाल संगठन के रूप में स्थापित है.