के सिवन की जीवनी हिंदी में | K Sivan biography in hindi

चंद्रयान -2 चंद्रयान -1 के बाद भारत का दूसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित, मिशन को 22 जुलाई 2019 को दोपहर 2.43 बजे IST पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉन्च पैड से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III ) द्वारा लॉन्च किया गया था।

दोस्तों अगर आप के अन्दर प्रतिभा है तो फिर आप जरुर ही सफल होंगे। फिर चाहे परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हो वह आपको सफलता की उड़ान भरने से कभी नही रोक सकती और आज की हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही इंसान के बारे में है, जिसने बहुत सारी विपरीत परिस्थितियों का सामना करके सफलता की उन ऊंचाइयों को छुआ है जिनके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते है। ख़ास कर गांव में पैदा होने वाले किसान के लड़के के लिए तो यह एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है।

हम बात करने वाले हैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी की इसरो के मौजूदा चेयरमैन के सिवन के बारे में। के सिवन का पूरा नाम कैलासवादिवु सिवन है। स्पेस साइंस के क्षेत्र में के शिवन के बहुमूल्य योगदान के लिए इन्हें भारतीय रॉकेटमैन के नाम से भी जाना जाता है। चांद पर भारत की उपलब्धि चंद्रयान 2 को बनाने में उन्होंने बड़ा योगदान दिया है। इसरो जैसी आर्गेनाइजेशन को लीड करने वाले के शिवम की सफतला की राह इतनी आसन नहीं थी, क्युकी उनके जीवन का एक समय ऐसा भी था, जब दो वक्त की रोटी भी उन्हें बहुत कठिनाईयों से नसीब होती थी।

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एक किसान का बेटा होने के बावजूद सिवन का इस तरह की ऊंचाइयों पर पहुंचाना आसान नहीं था। सिवन की कामयाबी की कहानी की शुरुआत होती है 14 अप्रैल 1957 से जब तमिलनाडु के नागरकोइल शहर के पास बसे एक छोटे से गांव में के सिवन का जन्म हुआ और शुरुआती जीवन से ही उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। सिवन ने पिता के पास महज एक एकड़ जमीन थी और उसी में खेती करके 6 परिवार के लोगों का गुजारा होता था।

हालांकि के सिवन के पिता को यह समझ आ गया था की जब तक उनके बच्चे पढ़ाई नहीं करेंगे तब तक उनकी और उनके बच्चों की आर्थिक स्थिति ऐसे ही खराब रहेगी और इसी लिए खुद दिन रात कड़ी मेहनत की और बच्चों को स्कूल भेजा। स्कूल से छुट्टी मिलने के बाद के सिवन अक्सर खेती में अपने पिता का हाथ बटाया करते थे।

के सिवन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई किसी बड़े प्राइवेट संस्थान में नहीं बल्कि तमिलनाडु मीडियम गवर्मेंट स्कूल में की। सिवन के स्कूल टीचर्स का कहना है कि वह हार्ड वर्किंग होने के साथ-साथ नयी चीजों को सीखने में भी जिज्ञासा रखते थे और शायद यही वजह थी की आज वह इस मुकाम पर खड़े है |

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हालांकि स्कूल की पढाई करने के बाद से सिवन के सामने आर्थिक समस्या और भी जयादा गहरा गई, क्योंकि उन्हें आगे चल कर एमआईटी यानी कि मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ाई करनी थी। लेकिन इस समस्या को उनके पिता ने अपने खेत का कुछ हिस्सा बेच कर और लोगों से उधार लेकर सुलझा लिया। फिर सिवान ने एमआईटी से ही बैचलर्स ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री ली और यहां पर पढ़ाई पूरी करने के बाद से वह अपने घर के पहले ग्रेजुएट बने।

एनआईटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के साथ सिवन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। आईआईटी बॉम्बे से उन्होंने वर्ष 2006 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की।  यहां से डिग्री लेने के बाद 1982 में के सिवन ने इसरो में काम करना शुरू किया। सिवन वर्ष 1982 में इसरो में आए और पीएसएलवी परियोजना पर उन्होंने काम किया। उन्होंने एंड टू ऐंड मिशन प्लानिंग, मिशन डिजाइन, मिशन इंटीग्रेशन ऐंड ऐनालिसिस में काफी योगदान दिया। इसरो में काम करने तो सिवन के करियर की शुरुआत थी, इसके बाद उन्हें आसमान को छूना था।

इसरो में ख़ास कर उन्होंने 6डी तैजेट्री सिमुलेशन सॉफ्टवेयर और इनोवेशन डे ऑफ लॉन्च विंड स्ट्रेटजी पर काम किया। इसी स्ट्रेटजी की मदद से ही साल के किसी भी दिन, कैसी भी परिस्थिति में रॉकेट लॉन्च किया जा सकता है। दोस्तों ऐसी ही ना जाने कितनी बहुमूल्य खोज से वह भारत के स्पेस एजेंसी का कद ऊंचा करते रहे और फिर 2011 में बतौर प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर उन्होंने जीएसएलपी प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। बता दें की सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल जीएसएलपी मार्क III की मदद से ही चंद्रयान 2 मिशन में यान को चंद्रमा पर भेजा गया है।

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14 फरवरी 2017 को भारत ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च करने का जो वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था, उसके अंदर भी सिवन का रोल सबसे अहम था। इन्हीं सभी कमाल की लीडरशिप स्किल्स को देखते हुए जनवरी 2018 में कैलासवादिवु सिवन को इसरो का चीफ बना दिया गया। फिर 15 जनवरी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने ए एस किरण कुमार का स्थान लिया है।

इस पद को संभालने के बाद से उनका और पूरे इसरो का जो सबसे अहम मिशन था। वो था चंद्रयान 2 जिसे की 22 जुलाई 2019 को सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया गया है। उम्मीद है की आगे चलकर आने वाले दिनों में सफलतापूर्वक यह अपना काम पूरा भी करेगा जिसके लिए इस यान को चंद्रमा पर भेजा गया है। अंत में बस कहना चाहेंगे कि इसरो के चेयरमैन के सिवन ने जिस तरह गरीबी से उठ कर यह सफलता पाई है वो काबिल-ए-तारीफ है और उनकी कहानी से हमें भी सीखन चाहिए की कड़ी मेहनत और संघर्ष से किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।

उम्मीद है की के सिवान की यह लाइफ स्टोरी आपको जरुर ही पसंद आई होगी और अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो अपने दोस्तों और परिवार जानो के साथ इसे शेयर करना ना भूलें।

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