रामधारी सिंह दिनकर एक हिंदी कवी, निबंधकार, विद्वान और देशभक्त इंसान थे। रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) का जन्म 23 सितम्बर 1908 को एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में बिहार के बेगुसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रवि सिंह था तथा माता का नाम मनरूपी देवी था। बोरो गाँव के मिडिल स्कूल में प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने बी.ए. इतिहास विषय में 1932 में पटना विश्वविद्यालय से किया। स्कूल और कॉलेज में, उन्होंने हिंदी, संस्कृत, मैथिलि, बंगाली, उर्दू और इंग्लिश साहित्य का अभ्यास किया था।
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रामधारी सिंह दिनकर को भारत के मुख्य आधुनिक कवियों में से एक माना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय में उन्होंने अपनी कविताओ से ही जंग छेड़ दी थी जिससे वो विद्रोही कवि कहलाये। स्वतंत्रता संघर्ष के काल में दिनकर भारतीय राजनीति के प्रतिष्टित नेताओं के सम्पर्क में आये जैसे राजेन्द्र प्रसाद आदि। वो अंग्रेजो के प्रति तुष्टीकरण निति के विरुद्ध थे तथा उनके मन में रोष तथा बदले की भावना उत्पन्न हो गयी थी। और ऐसे ही वातावरण में दिनकर जी पले-बढे और आगे चलकर राष्ट्रकवि बने। 1920 में दिनकर जी ने महात्मा गांधी को पहली बार देखा था। कविवर दिनकर ज्यादातर इकबाल, रबिन्द्रनाथ टैगोर, कीट्स और मिल्टन के कार्यो से काफी प्रभावित हुए थे।
तीन बार दिनकर राज्य सभा में चुने गए और 3 अप्रैल 1952 से 26 जनवरी 1964 तक वे इसके सदस्य भी बने रहे उनके योगदान के लिये उन्हें 1959 में पद्म भुषण अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। इसके साथ-साथ वे 1960 में भागलपुर यूनिवर्सिटी (भागलपुर, बिहार) के वाईस-चांसलर भी थे।
उर्वशी के लिये उन्हें 1972 में ज्ञानपीठ अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था।
आधुनिक राष्ट्रीय कविता के जागरूक रचनाकार राष्ट्रीय कवि दिनकर का देहांत 24 अप्रैल 1974 को हृदयगति रुक जाने से सहसा हो गया।
रामधारी सिंह दिनकर के कई ग्रन्थ प्रकाशित है जिसमे से कुछ मुख्य कविताये एव ग्रन्थ ये है
- विजय सन्देश (1928)
- प्राणभंग (1929)
- रेणुका (1935)
- हुंकार (1938)
- रसवंती (1939)
- द्वन्दगीत (1940)
- कुरुक्षेत्र (1946)
- धुप छाह (1946)
- सामधेनी (1947)
- बापू (1947)
- इतिहास के आंसू (1951)
- धुप और धुआं (1951)
- मिर्च का मज़ा (1951)
- रश्मिरथी (1952)
- दिल्ली (1954)
- नीम के पत्ते (1954)
- नील कुसुम (1954)
- सूरज का ब्याह (1955)
- चक्रवाल (1956)
- सीपे और शंख (1957)
- नये सुभाषित (1957)
- कविश्री (1957)
- उर्वशी (1961)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
- कोयला एयर कवित्व (1964)
- मृत्ति तिलक (1964)
- आत्मा की आंखे (1964)
- हारे को हरिनाम (1970)