India यानि कि भारत के इतिहास के बारे में बात करें तो केवल एक पोस्ट में यह बात कर पाना नामुमकिन है क्योंकि भारत की सभ्यता और अस्तित्व उतना ही पुराना है जितना कि मानवजाति का इतिहास है और इसी वजह से India की history बाकि देशो से थोड़ी गहरी है लेकिन हम आज की इस पोस्ट में एक टाइमलाइन के जरिये India के इतिहास के बारे में बात करेंगे जिस से आपको जानकारी रोचक लगे तो चलिए बात करते है India History की जो न केवल बेहतरीन है बल्कि अच्छे बुरे अनुभव मानवता के अपने साथ लिए हुए है –
India History in Hindi / भारत का इतिहास
India नाम की सबसे पहले बात करें तो यह नाम हमेशा से नहीं था यह नाम आधुनिक नाम है जो अंग्रेजो के समय से चल रहा है और इसकी उत्पति हुई है और यह सिन्धु शब्द से बना है | भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिमी भाग जो अब पाकिस्तान का पश्चिमी भाग है में बहती उस समय की “सिन्धु” नदी जिसका ऋग्वेद तक में जिक्र है | शुरुआत में विदेशी ईरानी अविभाजित India के इसी भाग से परिचित हुए और चूँकि वो “स” का उच्चारण “ है” करते थे इसलिए “हिन्दू” शब्द प्रचलन में आया | उसके बाद इसी “हिन्दू” नाम का ज्ञान यूनानियों को ईरानियों से हुआ और वह इसे “ indus” नाम से बुलाते थे जिसके बाद कालांतर में इसी से ‘हिंदुस्तान’ और ‘इंडिया’ नाम निकले इसलिए हम कह सकते है कि ‘India’ और ‘हिंदुस्तान’ नाम जो है वो विदेशियों की देन है और ‘भारत’ या ‘भारतवर्ष’ जो है वो हमारी मूल परम्परा की देन है |
सिन्धु-घाटी सभ्यता : –
India history की बात करें तो पहली भारतीय सभ्यता सिंधु घाटी में लगभग 2,600 ईसा पूर्व हुई थी । आज के हिसाब से यह यह वास्तव में उत्तर-पश्चिमी India और Pakistan में घिरा हुआ है। लगभग 6500 BC में यंहा के लोग खेती करना शुरू कर चुके थे और 5500 BC तक यंहा के लोगो ने मिटटी के बर्तनों का इजाद कर लिया था और फिर लगभग 2600 BC तक एक अच्छी और विकसित सभ्यता के तौर पर समाज की शुरुआत हुई | इसके बाद किसान कांस्य बर्तनों का उपयोग करने लगे और उन्होंने गेंहू , जौ और मटर उगाना शुरू कर दिया था साथ ही पशुपालन भी करने लगे थे | इसके बाद उन्होंने दूसरी संस्कृतियों के साथ व्यापार करना शुरू कर दिया और लोग बड़े कस्बों में रहने लगे | इसी समय के दो बड़े शहरों के बारे में आज हम पढ़ते है वो है – मोहनजोड़डो और हडप्पा |
मोहनजोदड़ो की जनसँख्या करीब 35 से 50 हजार के करीब बताई जाती है जो उस समय के हिसाब से बहुत थी और इतिहासकार बताते है कि पुरानी जितनी भी सभ्यताएं ज्ञात है उनमे सबसे अच्छी तरह विकसित सभ्यताओं में यह गिनी जा सकती है क्योंकि उस समय कई मंजिला घर खुदाई में पाए गये है और साथ ही गलियों में पानी के सही तरीके से निस्तारण के लिए नालियों का भी अच्छा ख़ासा नेटवर्क था | एक खास जगह केवल इसलिए बनाई गयी थी कि अनाज का भण्डारण अच्छे से किया जा सके | हालाँकि उस समय एक समायोजित और सुनियोजित सभ्यता थी ये संकेत मिलते है और उन लोगो के पास लेखन क्षमता भी थी लेकिन फिर भी उस से उस समय के पोलिटिकल सिस्टम या धार्मिक रुझान के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिलती है | India History की बात करें तो उस 2300-1700 BC तक यह सभ्यता अपने चरम में थी और फिर इसका विघटन हो गया और सन 1920 से पहले इसे फिर से नहीं खोजा जा सका |
आर्यों का आगमन : –
Indian history के अगले पडाव में Aryans का जिक्र है जो केन्द्रीय एशिया से India आये थे और इतिहासकार बताते है कि यह समय 1500 BC का था और ऐसा माना जाता है कि वो अफगानिस्तान के जरिये यंहा आये थे | ऐसा माना जाता है कि वो एक जगह रहने की बजाय अलग अलग जगह अपने मवेशियों के साथ भटकते थे और झुण्ड में रहते थे | कुछ इतिहासकारों में उन्हें खानाबदोश की संज्ञा दी है | उनके पास दोपहिया रथ हुआ करते थे और 1000 BC तक उन्होंने अपनी आम जिन्दगी में लोहे का प्रयोग करना सीख लिया था और समय के साथ धीरे धीरे वो किसान बन गये और उन्होंने अपनी जीविका के लिए खेती करनी शुरू कर दी | उसके बाद समय के साथ वो लोग और विकसित होते गये और एक आधुनिक तरह के समाज का निर्माण होना शुरू हो गया जिसमे खेती करने वाले किसानों के साथ साथ व्यापारी , शासक , सैनिक आदि शामिल हो गये | इस तरह छोटी छोटी जातियों से राज्य बनने शुरू हो गये | जातियों का सिस्टम इसी दौरान शुरू हुआ और इसी समय हिन्दू धर्म भी विकसित हुआ | कहा जाता है कि वेदों को भी इसी समय लिखा गया क्योंकि इस से पहले वो मौखिक तौर पर संचरित थे और बाद में उन्हें लिखा गया था | इसी समय धीरे धीरे आर्य जौ के बजाय चावलों की खेती करना शुरू करने लगे और लेखन का पुन: अविष्कार भी इसी समय हुआ और लोग कस्बों में रहने लगे | 600 BC तक India में एक उच्च और सभ्य समाज विकसित हो गया |
India में उसी समय 483 BC में महात्मा बुद्धा का जन्म हुआ और उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की लेकिन उस समय बौद्ध धर्म India में अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं रहा था और करीब उसी समय फारसी लोगो ने India के उतर पश्चिम भाग पर कब्ज़ा कर लिया हालाँकि सिकंदर महान ने फारसी साम्राज्य को ख़त्म कर दिया और उत्तर-पश्चिम हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया लेकिन उनकी मौत के बाद यूनानियों ने फिर से 319 BC में कब्जा छोड़ दिया | कहा जाता है कि Indian Society पर फारसी और यूनानी सभ्यता का बहुत कम असर देखने को मिलता है |
मौर्य साम्राज्य : –
India के इतिहास में सबसे शानदार और महान राजा के तौर पर माने जाने वाले अशोक सम्राट का इसी समय में उद्गम हुआ जब 322 ईसा पूर्व में छोटे बड़े राज्यों ने एक दूसरे पर हमले कर विजय प्राप्त की और एक बड़ा साम्राज्य बन गया | 322 BC में चन्द्रगुप्त मौर्य India के Northमें मगध के राजा बने जो एक विशाल साम्राज्य था | सिकंदर की मौत के बाद उसके द्वारा जीते हुए प्रदेश के पूर्वी भाग को सेलुकैस ने लिया और एक बार फिर से उन्ही राज्यों को जीतने की कोशिश की जिसे पूर्व में सिकंदर ने जीता था लेकिन इस बार चन्द्रगुप्त मौर्य ने उसे रोक दिया और मजबूरी में उसे लगभग पूरा अफगानिस्तान भी चन्द्रगुप्त को देना पड़ा और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने मध्य एशिया के कुछ भागों पर भी कब्ज़ा कर अपनी सीमा को बढाया |
इस समय मौर्य साम्राज्य धनी और व्यापार की दृष्टि से बहुत उन्नत था और उसकी राजधानी प्राचीन विश्व में सबसे बड़ी कुछ राजधानियों में शामिल होती है | इसके बाद 296 BC में बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य के राजा बने और उन्होंने दक्षिण में भी अपनी सीमा को बढाया | मौर्य साम्राज्य के सबसे महान राजा के तौर पर अशोका को गिना जाता है जो कि (269-232 BC) की समयावधि तक थे | उन्होंने कलिंग को जीता जो आज के समय का ओड़िसा है | लेकिन इसी युद्ध के बाद से उन्होंने हिंसा के खिलाफ खुद को वचनबद्ध कर लिया और बौध धर्म के अनुयायी हो लिए और इसके बाद से उन्होंने बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के प्रसार प्रचार में अपनी जिन्दगी को लगा दिया जिसके लिए उन्होंने बहुत से स्मारक भी बनवाए जिनमे से कुछ आज भी है | बौद्ध धर्म के अनुयायी हो जाने के बाद भी अशोका सत्तावादी थे और उन्होंने न्याय प्रणाली को अपराधियों के लिए और कठोर कर दिया |
उनकी मौत के बाद मौर्य साम्राज्य का धीरे धीरे पतन हो गया और राजनितिक तौर पर अस्थिर हो गया क्योंकि सभी भाई आपस में शासन के लिए लड़ने झगड़ने लगे | लगभग 185 BC में आखिरी मौर्य सम्राट की हत्या कर दी गयी और फिर शुंग वंश की स्थापना हुई और उसके बाद 73 BC में अंतिम शुंग सम्राट की भी हत्या हो गयी और उसके बाद 73-28 BC तक कनवा राजवंश के हाथों में शासन रहा |
चूँकि सिकंदर की मौत के बाद उसका राज्य अलग अलग उसके जनरलों में विभाजित हो गया था और उन्होंने आपस में एक दूसरे से संघर्ष किया जब तक कि एक स्थायी राज्य बैक्ट्रिया (आधुनिक अफगानिस्तान) नहीं बन गया और लगभग 185 ईसा पूर्व राजा देमेत्रियुस ने India पर हमला किया लगभग 160 ई.पू. उनके उत्तराधिकारियों में से एक, राजा मेननर ने उत्तरी India के अधिकांश भाग पर कब्जा कर लिया। हालांकि मेन्नेडर की मृत्यु के बाद यह साम्राज्य अलग-अलग राज्यों और यूरोपीय सभ्यता के बिना विकसित सभ्यता में टूट गया
कुषाण वंश : –
अब india को एक दूसरे हमलावर का सामना करना पड़ा उस समय मध्य एशिया के घुमकड हमलवारों ने करीब 120 BC में बक्ट्रिया पर हमला कर दिया और उसे जीत लिया और उसके बाद वो यही पर बस गये और उन्होंने अपने घुम्म्क्कड़ वाले जीवन यापन करने वाले तरीकों को छोड़ दिया और वो अपनी तरह की अलग अलग 5 जातियों में विभाजित हो गये उनमे से एक जाति कुशों ने दूसरो पर विजय प्राप्त की और धीरे धीरे पूरे Northern India पर अपना कब्ज़ा कर लिया और धीरे धीरे Northern India को सम्मिलित करते हुए एक बड़े राज्य की स्थापना की | कुषाण साम्राज्य राजा कनिष्क के साथ 78 AD- 114 AD के बीच अपने पूरे चरम पर था और इस समय india एक समृद्ध सभ्यता के तौर पर था और Romans के साथ उनका बहुत अधिक व्यापार भी हुआ करता था | हालाँकि उसकी मौत के बाद फिर से यह सिलसिला टूट गया और India फिर से छोटे छोटे राज्यों में विभाजित हो गया और इस समय समय 3rd Century AD का था |
गुप्त साम्राज्य :–
गुप्त साम्राज्य की बात करें तो यह 4th century AD का समय था जब गंधर्वगुप्त ने एक नये साम्राज्य की शुरुआत की और 335 ईसवी में उसकी मौत के बाद उसका राज्य उसके बेटे समुद्रगुप्त के हाथ में चला गया जिसने सन 335-375 तक राज्य किया और North India और Central India में विजय प्राप्त की | India एक बार फिर समृद्ध और स्थिर बन गया और चीन के साथ बहुत अधिक व्यापार उस समय में किया गया। गणित, खगोल विज्ञान और दवाएं इस दौर में अच्छे स्तर पर विकसित हुईं साहित्य भी खूब विकसित हुआ । यह महान कवि कैदास का समय था । आपको गुप्त काल के बारे में एक खास बात बता देते है कि गुप्त काल के समय अपराधियों को दी जाने वाले सजा कम सख्त होती थी बजाय मौर्य काल के लेकिन जल्दी ही छटी स्थाब्दी के शुरुआत में गुप्ता साम्राज्य ख़त्म हो गया |
हांस साम्राज्य :–
India के इतिहास में अब बात आती है हान्स साम्राज्य की और उन्होंने लगभग उत्तर-पश्चिमी India के अधिकांश भाग पर कब्जा कर लिया हालांकि जल्दी ही करीबन 30 साल बाद 528 AD में यशोधर्मन नाम के राजा ने उन्हें हरा दिया |
राजा हर्षवर्धन :–
इसके बाद एक और महान शासक के तौर पर जो india की history में हुआ है वो है राजा हर्षवर्धन और हर्षवर्धन के साम्राज्य की शुरुआत North India के थानेसर के राज्य के शासक के रूप में हुई थी। फिर उसने North India को एक बड़ा साम्राज्य बनाया। हालांकि 630 AD में, जब उसने दक्षिणी India को जीतने का प्रयास किया तो वह पुलकसेन (610-643 AD ) नामक राजा द्वारा बुरी तरह पराजित हो गया लेकिन इसके बाद भी वह अपने क्षेत्र का प्रभावशाली और शक्तिशाली राजा के रूप में अपने अस्तित्व को कायम रख पाने में कामयाब रहा था | उस दौर में उसकी biography भी लिखी गयी और लेकिन उसकी मौत के बाद जल्दी ही उसका साम्राज्य भी खंडित हो गया और छोटे छोटे राज्यों में विभाजित हो गया और india एक बार फिर कई छोटे छोटे राज्यों का देश बन गया, जो एक दूसरे के साथ युद्ध में निरंतर लगे रहते थे लेकिन तीन सबसे महत्वपूर्ण राजवंश हुए जिनके बारे में history में खासतौर पर वर्णन है वो है राजपूत, पल्लव और चालुक्य । हालांकि 9 वीं शताब्दी में दक्षिणी India में एक नया साम्राज्य के तौर पर चोला हुआ जिसके बारे में हम आगे बात कर रहे है |
चोल राजवंश :-
10 वीं शताब्दी के अंत में चोल राजवंश का राज था और उन्होंने श्रीलंका और मालदीव्स पर भी अपना अधिकार कर लिया था और उसी वंश के अगले राजा ने और भी अधिक अपने राज्य का विस्तार किया जिसमे अंडमान और गंगा का क्षेत्र शामिल था और इसी समय में दक्षिणी एशिया के साथ व्यापार को बहुत अधिक बढ़ावा मिला और उन लोगो ने अरब के साथ भी व्यापार को बढ़ावा दिया | हालाँकि उनका साम्राज्य बहुत शक्तिशाली था लेकिन फिर भी अगर उनकी तुलना मौर्य या फिर गुप्त साम्राज्य के साथ करें तो यह बहुत कम केन्द्रीयकृत था क्योंकि जीते हुए क्षेत्रो को वो छोटी छोटी रियासतों में बाँट देते थे जिनके सामंतो को पर्याप्त स्वायत्ता के अधिकार मिले हुए होते थे जिसकी वजह से एक रिस्क यह भी था कि कोई छोटी बड़ी रियासत बगावत भी कर सकती है |
तुर्कों का आगमन :–
10 वीं शताब्दी में मध्य एशिया से तुर्कों ने अफगानिस्तान पर विजय प्राप्त की। उनके शासक महमूद 971 AD-1030 AD की अवधि में उन्होंने पंजाब को जीत लिया। इसके बाद उन्होंने India में बड़ी दिलचस्पी दिखाते हुए मंदिरों को लूट लिया। तुर्क 1191 में वापिस आये , इस बार विजेता नहीं हमलावरों के रूप में वे सुल्तान मुहम्मद के नेतृत्व में थे वह 1191 में पराजित हो गये लेकिन उन्होंने अगले वर्ष फिर लौट आये और इस बार वह पहले से कंही अधिक शक्तिशाली हो गया था और North India के बड़े हिस्सों को जीतने में सक्षम रहे और उन्होंने एक शक्तिशाली राज्य बनाया जिसे दिल्ली सल्तनत के नाम से हम जानते है |
दिल्ली सल्तनत – कुतुबुद्दीन (1206-1211) और इलटूमिश (1211-1236) के राजगद्दी पर होने के समय सल्तनत ने बड़ी तेजी से अपनी सीमाओं में विस्तार किया और अल्लाउद्दीन (1296-1316 ) के समय में उनका साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर था और 1298 में उसने गुजरात को जीत लिया और 1309 में उसकी दक्षिणी के कुछ शहरों को जीता और और उन शहरों के राजाओं को जागीरदार बनने पर मजबूर कर दिया | 1296-97 ने मंगोलियन India आये लेकिन 1306 में वो पीछे हट गये | इसके बाद मोहम्मद तुगलक (1324-1351) ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और वो चूँकि अधिक केंद्रीय राजधानी चाहते थे इसलिए उन्होंने इसे दौलताबाद में स्थानांतरित कर दिया। हालांकि, बाद में वो अपनी राजधानी वापस दिल्ली ले आये | धीरे धीरे 14वीं शताब्दी यह सल्तनत डांवाडोल होने लगी | 1498 में यह तब ख़त्म हो गयी जब चंगेज खान के वंशज तेमूरलंग ने दिल्ली को बर्खास्त कर दिया और इसके बाद शुरूआती 15वी शताब्दी में फिर से कई छोटी छोटी रियासतें बन गयी जिसमे दिल्ली भी एक शामिल थी |
विजयनगर साम्राज्य :–
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दो भाईयों भाइयों, हरिहर और बुक्का ने की थी और ऐसा भी माना जाता है कि वो लोग मोह्हमद तुगलक के ही अधिकारी थे और उन्हें दक्षिण में विद्रोह कुचलने के लिए भेजा गया था लेकिन उन्होंने अपने ही राज्य को तोड़ दिया और अपने शासन की स्थापना की 1346 में हरिहर को राजा का ताज पहनाया गया था। उनके भाई बुक्का I (1357-1377 ) ने उसके बाद शासन किया | साम्राज्य 16 वीं शताब्दी में एक चरम पर पहुंच गया लेकिन उसके बाद वो मुगलों से 1564 में हार गये |
मुग़ल साम्राज्य :–
Indian History में अब मुगलों का दौर शुरू हुआ और यह विशाल साम्राज्य बाबर (1483-1530) के द्वारा शुरू हुआ जो कि चंगेज खान का ही वंशज था और वह 1504 से ही एशिया के उस हिस्से का राजा था जो अब अफगानिस्तान में है और उसने तुर्कों से तोपों और बन्दूकों का इस्तेमाल सीख लिया था और यही वजह थी कि वो उन Indian रियासतों को बड़े पैमाने पर जीता पाया जो अभी भी पुराने तरीके से ही युद्ध लड़ा करते थे | युद्ध लड़ने के लिए भी वह तुर्कों से सीखे गये अपने अनुभवों का उपयोग किया करता था | 1526 में बाबर ने पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोधी की सेना को बुरे तरीके से कुचल दिया। दूसरे Indian शासक भी बाबर के खिलाफ एकजुट हो गये लेकिन खनाऊ की लड़ाई में जो 1527 में हुई , बाबर ने सबको कुचल दिया और इस तरह बाबर North India का शासक बन गया | उसके बाद उसका बेटा हुमायूँ (1508-1556) राजा बना लेकिन जल्दी ही अफगान शासक शेर शाह सूरी से वो हार गया और 1540 में शेर शाह सूरी जो है वो North India का शासक बन गया और हुमायूं को निर्वासित कर दिया गया और वो इधर से उधर भटकता रहा और फिर 1542 में उसे एक बेटा हुआ जिसे हम अकबर महान के नाम से जानते है इसके बाद हुमायूं पर्शिया चला गया और इधर शेर शाह सूरी एक लड़ाई में 1545 में मारा गया जिसके बाद उसके अधीन साम्राज्य कमजोर होकर टुकड़े टुकड़े हो गया | इसके बाद फारस की मदद से उसने फिर से 1554 में North India पर हमला कर दिया और 1556 तक सब उसके नियंत्रण में भी हो गया लेकिन वह ज्यादा दिन राज नहीं कर पाया क्योंकि सीढ़ियों पर से गिरने की वजह से उसकी मौत हो गयी |
अब मुग़ल साम्राज्य अकबर के हाथों में था और उसके बाद जहाँगीर हुआ जिसके सम्राट रहते हुए South India में मुग़ल प्रभाव बहुत बढ़ गया था लेकिन 1627 में जहान्गीर की मौत हो गयी लेकिन 17 वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य अपने चरम पर पहुंच गया था और इसकी केवल एक ही कमजोरी थी वो थी कभी कभी के विद्रोह और सत्तारूढ़ परिवार के आपसी विवाद | शाहजहां 1627 में शासक बन गए। उनके अधीन साम्राज्य का विकास होने लगा और उसने ताजमहल का निर्माण किया जो दुनिया में सबसे सुंदर इमारतों में से एक के लिए प्रसिद्ध है। उसके बाद औरंगजेब (1658-1707) हुआ और उसने साम्राज्य का विस्तार किया और उसने 1687 तक लगभग सभी South India पर विजय प्राप्त की। उसके तहत साम्राज्य इतना विशाल हो गया कि एक व्यक्ति के शासन के लिए यह मुश्किल था। औरंगजेब का सबसे बड़ा दुश्मन शिवाजी थे , जो दक्षिण India के मराठों के नेता थे। शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध के तौर पर एक अभियान का नेतृत्व किया | शिवाजी के बाद उनके बेटे सम्भाजी ने पिता की जगह ले ली और 1689 में उन्हें मार डाला गया लेकिन उसके बाद भी गुरिल्ला युद्ध चलता रहा |
उसके बाद उसकी जगह उसके बेटे बहादुर शाह (1707-1712) ने ले ली लेकिन तब तक मुग़ल साम्राज्य खंडित होने लगा था और धीरे धीरे यह कमजोर हो गया | अधिक कर वसूलने की वजह से जगह जगह विद्रोह होने लगे और उसके बाद बाजीराव मराठा ने जो कि पुराने दुश्मन थे उन्होंने मुग़ल साम्राज्य पर हमला कर दिया और मजबूरन मुगलों को उनके साथ कुछ संधियाँ करनी पड़ी | उसके बाद 1739 में फारस के लोगों ने हमला कर दिया और 1761 आते आते मुग़ल सम्राज्य एकदम कमजोर हो गया |
अंग्रेजी राज :–
उधर मुग़ल साम्राज्य का पतन हो रहा था और इधर समुद्र से भारत तक पहुंचने वाले पहले यूरोपीय लोग पुर्तगाली थे वो 1498 में India आये | उन्होंने India से मसाले आयात करना शुरू कर दिया। उन्होंने 1510 में गोवा को अपना व्यापारिक आधार बनाया। हालांकि 17 वीं शताब्दी में पुर्तगाली लोगो की जगह अंग्रेजो और डच ने ले ली ।
भारत के साथ व्यापार करने के लिए सन 1600 में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन किया गया था। 1639 में, अंग्रेजों ने भारत में एक व्यापारिक आधार स्थापित किया था | 1662 में इंग्लैंड के राजा ने एक पुर्तगाली राजकुमारी से शादी की और उन्हें बॉम्बे दे दिया गया। सन 1668 में इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को बेच दिया गया था। साल 1690 में अंग्रेजी ने बंगाल में एक आधार स्थापित किया, जो कलकत्ता में फलने फूलने लगा । 17 वीं शताब्दी के अंत में डच ने भी जगह छोड़ दी और फ्रांसीसी उनकी जगह आ गये और उन्होंने 1673 में पांडिचेरी में व्यापारिक आधार स्थापित किया | उसके बाद 18वीं शताब्दी में फ्रेंच और अंग्रेज आपस में प्रतिद्वंदी बन गये और उन्होंने भारत की राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया | 1756 में अंग्रेजो ने रॉबर्ट क्लाइव (1725-1774) के नेतृत्व में कोलकाता पर कब्जा कर लिया और जून 1757 में प्लासी के युद्ध में जीत हासिल करके बंगाल पर कब्ज़ा कर लिया और 1819 आते आते मराठों को हरते हुए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने उत्तर पश्चिम के India को छोडके अधिकांश हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया था | 1845-46 में कम्पनी ने सिखों से युद्ध लड़ा और उन्होंने लाहौर पर अपना कब्ज़ा कर लिया और दूसरे युद्ध 1848-49 में उन्होंने पूरा पंजाब पर अपना कब्ज़ा कर लिया था |
1857 की क्रांति :–
10 मई 1857 को हुए इस विद्रोह की वजह से विद्रोहियों ने दिल्ली और कुछ जगहों को अपने नियंत्रण में ले लिया और ब्रिटिश सैनिकों की हत्या कर दी और मध्य भारत और उत्तरी भारत में विद्रोह के बाद भी दक्षिणी India में यह नहीं हो पाया और ब्रिटिश ने स्थिति को वापिस अपने नियन्त्रण में ले लिया |1858 तक क्रांति को दबा दिया गया था | इस क्रांति की वजह से ईस्ट इंडिया कम्पनी ने India पर से नियन्त्र को खो दिया और अब नियंत्रण 1 September 1858 को ब्रिटिश सरकार के हाथों में चला गया था | हालाँकि इस क्रांति के बाद भी ब्रिटिश का राज बरकरार रहा लेकिन आजाद होने की इच्छा भारतीय लोगो के मन से नहीं गयी थी जिसकी वजह से लोगो का ब्रिटिश के प्रति रोष बढ़ता चला गया और इसी बीच अंग्रेजो ने भारत में सड़कों और रेल का नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया और Indian National Congress की स्थापना 1885 में हुई और 1906 में Muslim League की स्थापना हुई |
स्वतंत्रता :-
19th सदी के अंत तक बहुत कुछ बदलाव आने शुरू हो गये और बहुत से newspapers शुरू हुए जिसकी वजह से लोगो के मन की बात जनता और अधिकारियों के सामने आने लगी और फिर 1905 में ब्रिटिश ने बंगाल को अलग कर दिया ताकि उस पर आसानी से राज किया जा सके लेकिन लोगो ने इसी समय ब्रिटेन से आने वाले सामान का बायकाट करना शुरू कर दिया | 19th सदी के अंत तक India एक कृषि प्रधान देश था जिसमे से खेती किये जा सकने वाले उत्पादों को ब्रिटेन में एक्सपोर्ट कर दिया जाता था और बदले में फैक्ट्रीज में बनने वाले सामान को भारत के लिए आयात किया जाने लगा | उसके बाद बहुत से नेता स्वाधीनता के आन्दोलन के लिए खड़े हुए लोगो का उन्हें बेहतरीन साथ मिला | उनमे से गाँधी भी एक थे 1930 में उन्होंने नमक के एकाधिकार को ख़त्म करने के लिए अभियान चलाया और 1932 तक आते आते आर्मी के लिए ब्रिटिश ने भारतीय लोगों को भी रिक्रूट करना शुरू कर दिया जो कि पहले बहुत कम हुआ करता था | 13 April 1919 जलियावाला बाग में हुए हत्याकांड की वजह से India के जनता में और अधिक रोष भर गया और ऐसे कई छोटे बड़े इंसिडेंट हुए जिसकी वजह से अब ब्रिटेन को लगने लगा था भारत को आजाद कर देना ही बेहतर है | हालाँकि 1931 में राजधानी को कोलकाता से दिल्ली ट्रान्सफर कर दिया गया था और 1935 तक ब्रिटिश ने मन में मान लिया कि अब भारत को आजाद करना अनिवार्य ही हो गया है |
1940 में मुस्लिम लोगो ने यह डिमांड की कि उन्हें एक अलग से देश चाहिए जो भारत से भी अलग हो और 1942 में नेशनल कांग्रेस दल ने भारत को ब्रिटिश से मुक्त करने की डिमांड की जिसके बाद अंग्रेजो ने उन्हें और उनके नेताओं जिसमे गाँधी भी शामिल थे जेल में डाल दिया गया और बाद में 1944 को उन्हें छोड़ दिया गया |
इसके बाद बहुत सी उठापटक के बाद 1946 में वाइसराय ने जवाहरलाल नेहरू के साथ एक अंतरिम कैबिनेट नियुक्त किया और उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया और इसके बाद 15 August 1947 को India आजाद हो गया और पाकिस्तान एक नया देश बना जो मुस्लिम बहुल था और इस विभाजन की वजह से हिन्दू और मुस्लिम लोगो में जातिगत हिंसा हुई जिसमे करीब 5 लाख लोग मारे गये थे | December 1946 में नये संविधान को बनाने और उसे लागू करने के लिए सम्मेलन हुआ था और आजादी के बाद भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश बन गया था |
20वीं सदी के अंत में भारत :–
1960 के दशक में भारत ने दो युद्ध लड़े जिसमे एक चीन के साथ सीमा के विवाद को लेकर था और इसमें भारत की हार हुई और दूसरा 1965 में हुआ पाकिस्तान के साथ और वह भी सीमा विवाद की वजह से हुई जिसमे पाकिस्तान हार गया था | नेहरु 1964 को चल बसे और उनके बाद इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री बनी 1966 में और उन्होंने खुद को लोकप्रिय राजनेता साबित किया | 1971 में फिर पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ जिसमे जिसमे पाकिस्तान और बांग्लादेश दो अलग अलग देश बन गये और बांग्लादेश पाकिस्तान से आजाद हो गया जो कि पहले ईस्ट पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) और वेस्ट पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान ) के नाम से जाने जाते थे | इसके बाद बहुत सी उल्लेखनीय घटनाएँ हुई जिसमे India का परमाणु शक्ति से सम्पन्न होने से लेकर सिखों के अलग से देश की डिमांड करना तक शामिल है जिसकी वजह से बाद इंदिरा गाँधी की उन्ही के अंगरक्षकों के द्वारा हत्या भी हो गयी थी | उनके बाद राजीव गाँधी ने जगह ली लेकिन उन्हें भी 1991 में मार दिया गया था |
21वी सदी में भारत :–
आज की बात करें तो देश दुनिया में बड़ी तेजी से अपनी पहचान बना रहा है और चाहे वो इंडस्ट्रियल एरिया हो या वैज्ञानिक शोध की बात दुनिया में भारत की अपनी एक अलग पहचान है देश में कभी कभी होने वाले दंगो से अलग India एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की छवि के तौर पर अभी भी खुद को कायम किये है |
तो ये है India History in Hindi और चूँकि जैसा कि हमने पहले कहा कि एक ही पोस्ट में indian history को समझा पाना बेहद मुश्किल है इसलिए यह लेख संक्षेप में इसलिए लिखा गया है कि आपको मोटा मोटा आईडिया हो जाये कि क्यों India में इतने तरह के धर्म और कलाएं विकसित हो पाई है और क्यों इतनी तरह की विविधताएँ देखने को मिलती है और क्यों इसे विविधता में एकता की संज्ञा दी जाती रही है | अधिक जानकारी या सलाह के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमारी वेबसाइट से Biographyinhindi.in पाने के लिए आप हमसे ईमेल सब्सक्रिप्शन ले सकते है या हमे फेसबुक पर भी follow कर सकते है